- वसूली करने वालों 11 लोगों का गैंग, सभी सदस्यों अलग अलग क्षेत्रों में मेरठ विकास प्राधिकरण का जेई बनकर करते है वसूली
- एमडीए के उपाध्यक्ष को मिल रही थी फर्जी जेई बनकर वसूली करने वालों की सूचना
मेरठ। पुलिस ने अधिवक्ता के निर्माणाधीन मकान में मेरठ विकास प्राधिकरण का जेई बनकर वसूली करने वाले एक युवक को दबोच लिया। पुलिस ने उसके खिलाफ अवैध वसूली का मामला दर्ज करके हवालात में बंद कर दिया। पुलिस का कहना है कि छानबीन में 11 अज्ञात के नाम भी वसूली में सामने आए है। उनकी भी जांच कराई जा रही है।
बताया गया कि कंकरखेड़ा थाना क्षेत्र के खड़ौली गांव में अधिवक्ता नौशाद अपना 123 गज में मकान बनवा रहे है। इसी दौरान उनके पास जावेद निवासी खैर नगर नाम का युवक अपने तीन साथियों के साथ वहां पर कार से पहुंचा। उसने कहा कि वह मेरठ विकास प्राधिकरण का जेई है। वह उनसे मकान का नक्शा मांगने लगा। उसने कहा कि वह बिना नक्शे के मकान बनवा रहा है। उसके बाद उसने अधिवक्ता से पचास हजार रुपये की मांग की। उसने कहा कि अगर वह रुपये नहीं देंगे तो उसके मकान पर सील लगा दी जाएगी। यह रुपये मेरठ विकास प्राधिकरण के उच्च अधिकारियों तक जाएगें। इतना सुनते ही अधिवक्ता घबरा गए। उन्होंने आनन फानन में उसे 16 हजार रुपये दे दिए। इसके बाद उन्होंने मेरठ विकास प्राधिकरण के एमडी को सारे मामले की जानकारी दी। उन्होंने क्षेत्र के जेई को उनके सामने बुलाया। पता चला कि जेई बनकर कोई अन्य युवक वसूली करके ले गए। इतना सुनते ही उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। इसके बाद उन्होंने बाकि की रकम देने के बहाने युवक को सिविल लाइन क्षेत्र में बुलाया। वहां पर पहुंचे युवक जावेद को पकड़ लिया। इसके बाद पुलिस को फोन किया।
सीसीटीवी में हो गया था कैद
अधिवक्ता ने बताया कि उसके घर पर सीसीटीवी कैमरे लगे रहे है। वह सीसीटीवी में रुपये लेते कैद हो गया। इसके बाद सीसीटीवी की फुटेज उन्होंने एमडीए के वीसी को भी दिखाई।
गैंग में 11 सदस्यों के नाम पुलिस को बताए
पुलिस का कहना है कि पूछताछ में आरोपी युवक ने अपने गैंग में 11 लोगों के नाम बताए है। उन्होंने बताया कि वह सारे मिलकर निर्माणाधीन मकान में जाकर एमडीए के अधिकारी बनकर वसूली करते है। पुलिस ने गैंग के सदस्यों के घरों पर भी छापेमारी की। पुलिस का कहना है कि 11 अज्ञात में रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है।
एमडीए के उच्च अधिकारियों के नाम पर कर रहा था वसूली
अधिवक्ता ने बताया कि उसने उससे कहा कि पचास हजार रुपये में उसके पास सिर्फ पाचं हजार रुपये ही बचेंगे। बाकि की रकम एमडीए के सभी उच्च अधिकारियों तक जाएगी। उसने उन्हें सभी अधिकारियों की लिस्ट भी दिखाई। इसके बाद उसने उसे विश्वास में ले लिया। उन्होंने उसे 16 हजार रुपये दे दिए।